शुक्रवार, 28 नवंबर 2025

पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय//Azadi Ka Amrit Mahotsav//प्रविष्टि तिथि: 28 NOV 2025 at 6:47 PM by PIB Delhi

 एक वित्तीय वर्ष में अब तक का सबसे तेज 100 एमएमटी कार्गो थ्रूपुट हासिल किया

नई दिल्ली: 28 नवंबर 2025: (पीआईबी दिल्ली//साथ समंदर पार से डेस्क)::

ओडिशा के पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण ने 27 नवंबर को अपनी स्थापना के बाद से किसी भी वित्तीय वर्ष में अब तक का सबसे तेज़ 100 मिलियन मीट्रिक टन कार्गो थ्रूपुट (माल ढुलाई)  हासिल किया है। लगातार 9वें वर्ष इस बंदरगाह ने 100 एमएमटी ढुलाई का आंकड़ा पार किया है। उसने इस वर्ष 100.15 एमएमटी कार्गो ढुलाई की है। इससे माल ढुलाई में साल-दर-साल आधार पर 4 दशमलव सात-आठ प्रतिशत वृद्धि दर्ज हुई है और यह पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 12 दिन पहले हासिल किया गया है। वित्त वर्ष 2024-25 में, 100 एमएमटी ढुलाई का लक्ष्य 9 दिसंबर 2024 को हासिल किया गया था। इस वित्‍तीय वर्ष में यह रिकॉर्ड, 241 दिनों में दर्ज हुआ है, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में 253 दिनों में 100 एमएमटी से अधिक ढुलाई हुई थी।

माल लदान-चढ़ान में अन्‍य चुनौतियों के बावजूद, बंदरगाह लगातार नए मानक स्थापित कर रहा है। तेज़ परिचालन, प्रणालीगत सुधार और हितधारकों का निरंतर सहयोग पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण के आगे बने रहने में सहायक सिद्ध हुआ है। तटीय तापीय कोयला, कंटेनर कार्गो, जिप्सम और फ्लक्स, पेट्रोलियम संबंधित उत्‍पादों और इस्‍पात कार्गो में बढ़ोतरी से पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण एक अग्रणी तटीय पोत परिवहन केंद्र के तौर पर स्‍थापित हुआ है। बंदरगाह पर कुल कार्गो मात्रा में कोयला ढुलाई का लगभग 45 प्रतिशत हिस्सा है। पिछले वित्तीय वर्ष की इसी अवधि की तुलना में इसमें 3 दशमलव सात-छह प्रतिशत की वृद्धि रही  है। इसी प्रकार, मौजूदा वित्त वर्ष में कंटेनर कार्गो की मात्रा में 32 प्रतिशत, जिप्सम और फ्लक्स की मात्रा में 24 प्रतिशत, इस्‍पात कार्गो में 35 प्रतिशत और पेट्रोलियम संबंधी उत्‍पादों के माल चढ़ान और ढुलाई में साल-दर-साल आधार पर 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

इन उपलब्धियों के बारे में स्थानीय मीडिया को जानकारी देते हुए पीपीए के अध्यक्ष श्री पीएल हरनाध ने पत्‍तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल के प्रति आभार व्यक्त किया, जिनकी प्रेरणा, गतिशील नेतृत्व और मार्गदर्शन में, पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण ने व्‍यापक  सफलता हासिल की है। श्री हरनाध ने सभी अधिकारियों/कर्मचारियों, उपयोगकर्ता उद्योगों, स्टीवडोर्स (बंदरगाहों पर जहाजों से माल चढ़ाने और उतारने वाले), स्टीमर एजेंटों, ट्रेड यूनियनों, सार्वजनिक-निजी भागीदार संचालकों को बंदरगाह कार्यों की उपलब्धि के लिए बधाई दी। पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण के अध्यक्ष ने केन्‍द्रीय पत्‍तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ओडिशा सरकार, भारतीय रेलवे, सीमा शुल्क और अन्य विभागों के निरंतर समर्थन की भी सराहना की। इस अवसर पर पीपीए के उपाध्यक्ष श्री टी. वेणु गोपाल, यातायात सलाहकार श्री ए.के. बोस और यातायात प्रबंधक श्री जी. एडिसन भी उपस्थित थे।

पीपीए इस वित्तीय वर्ष में दक्षता और संचालन पर ध्यान केंद्रित करते हुए सर्वकालिक उच्चतम लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है।




****//पीके/केसी/एकेवी/जीआरएस//(रिलीज़ आईडी: 2196058)

मंगलवार, 23 सितंबर 2025

कोचीन शिपयार्ड आत्मनिर्भर भारत की ओर अग्रसर

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय//प्रविष्टि तिथि: 23 SEP 2025 at 1:44 PM by PIB Delhi//Azadi Ka Amrut Mahotsav 

एचडी कोरिया के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

जहाज निर्माण के क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग के लिए होगा नया मील पत्थर 

*कोच्चि में ब्लॉक फैब्रिकेशन व्यवस्था (बीएफएफ): 80 एकड़ में संयंत्र, 1,20,000 मीट्रिक टन वार्षिक क्षमता और ₹3,700 करोड़ का निवेश

*सीएसएल तमिलनाडु में जहाज निर्माण क्लस्टर विकसित करेगा और ₹15,000 करोड़ का शिपयार्ड स्थापित करेगा जिससे 10,000 रोजगार का सृजन होगा

नई दिल्लीः 23 सितंबर 2025  (पीआईबी दिल्ली//साथ समंदर पार से)::

कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम बढ़ाते हुए जहाज निर्माण के क्षेत्र में दीर्घकालिक रणनीतिक सहयोग के लिए एचडी कोरिया शिपबिल्डिंग एंड ऑफशोर इंजीनियरिंग (एचडी केएसओई) के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। "समुद्र से समृद्धि - भारत के समुद्री क्षेत्र में परिवर्तन" नाम के ऐतिहासिक कार्यक्रम के दौरान इस समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान किया गयाजिसका उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार20 सितंबर 2025 को गुजरात के भावनगर में किया था।

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल और केंद्रीय राज्य मंत्री श्री शांतनु ठाकुर ने समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर के समय उपस्थित थे। हुंडई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं वैश्विक व्यापार प्रबंधन प्रभाग के प्रमुख जंग चांगिन और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री मधु एस. नायर भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

यह साझेदारी सीएसएल की विरासतबुनियादी ढांचे और घरेलू विशेषज्ञता और एचडी केएसओई की उन्नत तकनीक और वैश्विक अनुभव को एक साथ जोड़ने का प्रयास है। यह भारत की जहाज निर्माण क्षमताओं को मज़बूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इस समझौता ज्ञापन के अंतर्गत सीएसएल के 310 मीटर लंबे नए ड्राई डॉक का उपयोग स्वेजमैक्स टैंकरोंकंटेनर जहाजों और केपसाइज़ बल्क कैरियर जैसे बड़े जहाजों के निर्माण के लिए किया जाएगाजिनकी क्षमता सालाना छह जहाजों तक की होगी। भारत के माननीय प्रधानमंत्री ने 17 जनवरी 2024 को नए ड्राई डॉक का उद्घाटन किया था।

इसके सहयोग के लिए कोच्चि में लगभग 80 एकड़ में एक समर्पित ब्लॉक फैब्रिकेशन व्यवस्था (बीएफएफ) की योजना बनाई गई हैजिसकी वार्षिक क्षमता 1,20,000 मीट्रिक टन होगी और इसमें लगभग ₹3,700 करोड़ का निवेश होगा। प्रस्तावित व्यवस्था और इसके नक्शे का विवरण इस कार्यक्रम में प्रस्तुत किया गया। इस पहल से लगभग 2,000 प्रत्यक्ष रोजगार और लॉजिस्टिक्सएमएसएमईआपूर्ति श्रृंखला और सहायक उद्योगों जैसे क्षेत्रों में 2 से 5 गुना अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने का अनुमान है।

यह सहयोग संक्रमण काल ​​के दौरान सीएसएल की वर्तमान व्यवस्था में जहाज निर्माण परियोजनाओं के संयुक्त कार्यान्वयन पर भी केंद्रित होगासाथ ही नए व्यावसायिक क्षेत्रोंग्रीनफील्ड शिपयार्ड और कौशल विकास के क्षेत्रों में अवसरों की खोज भी करेगा। यह साझेदारी उत्पादन क्षमता में वृद्धि और अगली पीढ़ी के जहाजों की आपूर्ति के माध्यम से मैरीटाइम इंडिया विजन (एमआईवी2030 और मैरीटाइम अमृत काल विजन (एमएकेवी2047 जैसी राष्ट्रीय पहलों के अनुरूप हैजो भारत को एक वैश्विक जहाज निर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने के मिशन को सुदृढ़ करती है।

सीएसएल ने इसके अतिरिक्त जहाज निर्माण क्लस्टर विकसित करने के भारत सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप गाइडेंस नाम की तमिलनाडु सरकार की नोडल एजेंसी के साथ एक दूसरे समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। सीएसएल के सीएमडीश्री मधु एस नायरगाइडेंस तमिलनाडु के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारीऔर डॉ. दारेज़ अहमद हस्ताक्षर के समय उपस्थित थे। सीएसएल अपनी दीर्घकालिक विकास रणनीति के हिस्से के रूप में कोरियाई भागीदार के सहयोग से तमिलनाडु में अत्याधुनिक शिपयार्ड स्थापित करने के लिए लगभग ₹15,000 करोड़ के ग्रीनफील्ड निवेश पर विचार कर रहा है। परियोजना के पहले चरण में लगभग 10,000 नौकरियों का सृजन होने का अनुमान है - जिसमें 4,000 प्रत्यक्ष और 6,000 अप्रत्यक्ष अवसर शामिल हैं। जहाजों के मरम्मत की आधुनिक व्यवस्था भी इसमें शामिल हो सकती है।

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पीके/केसी/केके/एनजे//(रिलीज़ आईडी: 2170089) 

शनिवार, 23 अगस्त 2025

आईएनएस तमाल ने ग्रीस की सौडा खाड़ी में बंदरगाह पर अपनी यात्रा पूरी की

Posted on Saturday 23rd August 2025 at 1:24 PM by PIB Delhi प्रविष्टि तिथि: 23 AUG 2025 at 1:24 PM by PIB Delhi

इस दौरे से समुद्री कूटनीति को बढ़ावा मिलेगा


नई दिल्ली: 23 अगस्त 2025: (पीआईबी दिल्ली//सात समंदर पार से)::

भारतीय नौसेना का आधुनिकतम और उन्नत तकनीकों से लैस युद्धपोत आईएनएस तमाल भारत में अपने घरेलू बंदरगाह के लिए आने के मार्ग में 19-22 अगस्त, 2025 को ग्रीस के सौडा खाड़ी में रुका। बंदरगाह पर आगमन के दौरान भारतीय जहाज के चालक दल ने हेलेनिक नौसेना और नाटो अधिकारियों के साथ बातचीत की। इसमें 19 अगस्त, 2025 को सौडा खाड़ी नौसेना बेस पर कमांडर कमोडोर डायोनिसियोस मंतादाकिस, नाटो समुद्री अवरोधन परिचालन प्रशिक्षण केंद्र (एनएमआईओटीसी) के प्रमुख कैप्टन कोप्लाकिस इलियास और अमरीकी नौसेना के नौसेना सहायता गतिविधि के कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन स्टीफन स्टीसी से कमांडिंग ऑफिसर की मुलाकात भी शामिल थी। बैठकों के दौरान चर्चा परिचालन संबंधी मामलों और समुद्री सहयोग पर केंद्रित रही। आईएनएस तमाल के चालक दल के लिए सौडा खाड़ी में इतालवी नौसेना के लैंडिंग हेलीकॉप्टर डॉक, बहु-भूमिका वाले हमले की इकाई आईटीएस ट्राइस्टे पर एक क्रॉस डेक दौरा आयोजित किया गया। 

ग्रीस में भारत के राजदूत रुद्रेन्द्र टंडन ने 20 अगस्त, 2025 को जहाज का दौरा किया और चालक दल के साथ बातचीत की। चालक दल ने युद्धपोत के बंदरगाह प्रवास के दौरान, सौडा नौसेना बेस और आयुध सुविधा, एनएमआईओटीसी और स्थानीय समुद्री संग्रहालय का दौरा किया। जहाज के चालक दल ने क्रेते में द्वितीय विश्व युद्ध के कब्रिस्तान में श्रद्धांजलि अर्पित की। 

आईएनएस तमाल 22 अगस्त, 2025 को सौडा खाड़ी से रवाना हुआ और उसने हेलेनिक नौसेना की रूसेन श्रेणी की गश्ती नौका एचएस रिटोस के साथ एक अभ्यास में भाग लिया, जिसका उद्देश्य नौसेनाओं के बीच आपसी सहभागिता को बढ़ावा देना था।

आईएनएस तमाल का बंदरगाह पर आगमन भारत द्वारा ग्रीस के साथ अपने संबंधों को दिए जाने वाले महत्व और दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग को सशक्त करने के प्रयासों को दर्शाता है। इसने दोनों नौसेनाओं को सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करने और संयुक्त सहयोग के लिए आगे के अवसरों का लाभ उठाने का अवसर भी प्रदान किया है। 

भारत में अपने घरेलू बंदरगाह पहुंचने के रास्ते में यह युद्धपोत एशिया के मित्र देशों के बंदरगाहों का दौरा करेगा, जिससे समुद्री कूटनीति को बढ़ावा मिलेगा और सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार होगा।

****//पीके/केसी/एनके//(रिलीज़ आईडी: 2160109)

शनिवार, 15 जून 2024

सात समुद्र क्या हैं?

सात समुंद्र एजियन, एड्रियाटिक, भूमध्यसागरीय, काला, लाल और कैस्पियन समुद्र थे?

फारस की खाड़ी को "समुद्र" के रूप में शामिल किया गया था

इंटरनेट की दुनिया: 15 जून 2024: (नोआ//इनपुट-मीडिया लिंक//सात समंदर पार से डेस्क)

प्राचीन कहानियां सात समंदरों के अजीबो गरीब रहस्यों से भरी पड़ी हैं। हमारे आसपास के घरों परिवारों में ऐसी मजबूरियां भी  गई  हैं जब घर  के अपने अपने घरों की आर्थिक दशा सुधारने के लिए समुंद्र पार नौकरी करने जाया करते थे। बहुत से लोग अपने कारोबार के सिलसिले में भी समुंद्र पार जाया करते थे। समुंद्र पार की चर्चा चलते ही मन में महासागर के बहुत से दृश्य सामने आने लगते।  समुंद्र के देवता, समुंदर के राक्षस, समुन्द्र की परियां, समुंद्र की अप्सराएं और समुंद्र की दुनिया के बहुत से अन्य रहस्य। 

इनको सोचते हुए मज़ेदार अनुभवों  की कल्पना भी रहती और  भयावह खतरों और अनहोनियों का डर भी। इन सब की हकीकत क्या है इसे जानने को मानव हमेशां उत्सुक रहा है। The National Ocean Service ने इस दिशा में बहुत महत्वपुर्ण काम किया है। National Oceanic and Atmospheric Administration  अर्थात NOAA जो कि अमेरिका में विशेष सागर खोज सेवा है उस ने जो तथ्य इस संबंध  खोज निकाले हैं वे हैरानकुन हैं।  बहुत से नए सत्य सामने आए हैं। इस बार हम NOAA के एक विशेष अंग्रेज़ी आलेख को हिंदी में यहां भी प्रस्तुत कर रहे हैं। 

आपको यह प्रयास कैसा लगा अवश्य बताएं। --संपादक

सात समुद्रों में आर्कटिक, उत्तरी अटलांटिक, दक्षिण अटलांटिक, उत्तरी प्रशांत, दक्षिण प्रशांत, भारतीय और दक्षिणी महासागर शामिल हैं।


महासागर की छवि आपको सागरों की एकरूपता और विशालता का अहसास भी करवाती है। 

वास्तव में 'सात समुद्र' वाक्यांश की सटीक उत्पत्ति अनिश्चित है, हालाँकि इस तरह के नाम और चलन प्राचीन साहित्य में हज़ारों साल पहले के संदर्भ में भी रहे हैं।

'सात समुद्र' वाक्यांश की उत्पत्ति का पता प्राचीन काल से लगाया जा सकता है।

इतिहास में अलग-अलग समय पर विभिन्न संस्कृतियों में, सात समुद्रों ने व्यापार मार्गों, क्षेत्रीय जल निकायों या विदेशी और दूर के जल निकायों के साथ जल निकायों को संदर्भित किया है।

ग्रीक साहित्य में (जहाँ से यह वाक्यांश पश्चिमी साहित्य में आया), सात समुद्र एजियन, एड्रियाटिक, भूमध्यसागरीय, काला, लाल और कैस्पियन समुद्र थे, जिसमें फारस की खाड़ी को "समुद्र" के रूप में शामिल किया गया था।

मध्यकालीन यूरोपीय साहित्य में, वाक्यांश उत्तरी सागर, बाल्टिक, अटलांटिक, भूमध्यसागरीय, काला, लाल और अरब सागर को संदर्भित करता था।

जैसे-जैसे अटलांटिक के पार व्यापार बढ़ता गया, सात समुद्रों की अवधारणा फिर से बदल गई। नाविकों ने तब सात समुद्रों को आर्कटिक, अटलांटिक, हिंद, प्रशांत, भूमध्यसागरीय, कैरिबियन और मैक्सिको की खाड़ी के रूप में संदर्भित किया।

आज बहुत से लोग इस वाक्यांश का उपयोग नहीं करते हैं, लेकिन आप कह सकते हैं कि आधुनिक सात समुद्रों में आर्कटिक, उत्तरी अटलांटिक, दक्षिण अटलांटिक, उत्तरी प्रशांत, दक्षिण प्रशांत, हिंद और दक्षिणी महासागर शामिल हैं।

हालाँकि, हमारा महासागर आमतौर पर भौगोलिक रूप से अटलांटिक, प्रशांत, हिंद, आर्कटिक और दक्षिणी (अंटार्कटिक) में विभाजित है।

Ocean Service NOAA से साभार  

सोमवार, 23 अप्रैल 2018

एक यादगारी गीत--गुड़िया चाहे ना लाना पप्पा, जल्दी आ जाना.....!

Sunday 22nd April 2018 at 5:45 PM on Life, Jobs and Family Updated:23rd November 2024 

आज भी दुश्वार है पैसे के बिना ज़िंदगी....!


ज़िंदगी के रंग: 22 अप्रैल 2018: (मीडिया लिंक//सात समंदर पार से)::

"सात समंदर पार से....." इन शब्दों की यह पंक्ति जब सामने आती है तो बहुत से चेहरे सामने आने लगते हैं जिनको रोज़ रोटी  मजबूरी सात समंदर पार ले गई। कुछ कमाई कर के लौट आए..कुछ नाकाम हो कर लौट आए और कुछ कभी न लौट सके।   सन 1967 में आई फिल्म "तक़दीर" इसी तरह की कहानी पर  थी। यह फिल्म वास्तव में  एक कोंकणी फिल्म पर आधारित थी जो केवल एक बरस पहले सन 1966 में आई थी। यूं तो इसकी कहानी और इसके सभी गीत बहुत ही यादगारी रहे लेकिन परिवार  भावनाओं से जुड़ा एक बहुत ही खूबसूरत गीत था जिसके आरंभिक बोल थे:

सात समुंदर पार से गुड़ियों के बाज़ार से 

सात समुंदर पार से गुड़ियों के बाज़ार से

अच्छी सी गुड़िया लाना, गुड़िया चाहे ना लाना

पप्पा, जल्दी आ जाना, पप्पा, जल्दी आ जाना

यहाँ गीत का मुखड़ा फिर से रिपीट होता है....जिससे गीत का भावनात्मक बंधन और मज़बूत हो जाता है...!

सात समुंदर पार से गुड़ियों के बाज़ार से

अच्छी सी गुड़िया लाना, गुड़िया चाहे ना लाना

पप्पा, जल्दी आ जाना, पप्पा, जल्दी आ जाना

गीत के दुसरे अन्तरे तक आते आते गीत की धुन बदलती है..इसे आप संगीतकार का कमाल हैं। इस तबदीली से गीत और इसके संगीत का जादू और बढ़ जाता है। 

नई सुर और नई धुन में गीत की नई पंक्ति के बोल सामने आते हैं:

तुम परदेस गए जब से, बस ये हाल हुआ तब से

दिल दीवाना लगता है, घर वीराना लगता है

झिलमिल चांद सितारों ने, दरवाज़ों दीवारों ने

सबने पूछा है हम से कब जी छूटेगा ग़म से

इसके बाद ही अन्तरे की अगली पंक्ति में पुरानी धुन लौट आती है:

कब जी छूटेगा ग़म से, कब होगा उनका आना

पप्पा, जल्दी आ जाना, पप्पा, जल्दी आ जाना

यह गीत वास्तव में उन सभी परिवारों के आर्थिक संकट को भी सामने लाता है और भावनात्मक संकट को भी। आर्थिक मजबूरियां घर परिवार में पैदा होने वाले बिछोह के गम को भी बढ़ा देती हैं। फिर याद आती हैं एक और गीत की पंक्तियां--तेरो दो टकियां दी नौकरी मेरा लाखों  जाए--हाए हाए यह मजबूरी--यह मौसम और यह दूरी......! 

इस गीत में भी यही रेंग महसूस होता है इसके बाद वाले अन्तरे मैं। 

माँ भी लोरी नहीं गाती, हमको नींद नहीं आती

खेल खिलौने टूट गए, संगी साथी छूट गए

जेब हमारी खाली है और बसी दीवाली है

हम सबको ना तड़पाओ, अपने घर वापस आओ

अपने घर वापस आओ और कभी फिर ना जाना

पप्पा, जल्दी आ जाना, पप्पा, जल्दी आ जाना

गम, दर्द, उदासी और मजबूरियों का अनुमान लगाएं ज़रा इन शब्दों में:

ख़त ना समझो तार है ये, कागज़ नहीं है प्यार है ये

दूरी और इतनी दूरी, ऐसी भी क्या मजबूरी?

तुम कोई नादान नहीं, तुम इससे अनजान नहीं

इस जीवन के सपने हो, एक तुम ही तो अपने हो

एक तुम ही तो अपने हो, सारा जग है बेगाना

पप्पा, जल्दी आ जाना, पप्पा, जल्दी आ जाना

सात समुंदर पार से गुड़ियों के बाज़ार से

अच्छी सी गुड़िया लाना, गुड़िया चाहे ना लाना

पप्पा, जल्दी आ जाना, पप्पा, जल्दी आ जाना

पप्पा, जल्दी आ जाना.....

इन सभी  मजबूरियों  को सामने लाना ही है हमारा मकसद। आपके पास भी कोई सच्ची कहानी है तो ज़रूर भेजें।